सरायकेला : हूल दिवस पर लिया जल ,जंगल, जमीन बचाने का संकल्प,इसके अलावे मांझी महाल एंव ABVP ने भी दी श्रद्धांजलि

 चांडिल : 30 जून सिद्धू कान्हू हुल दिवस के उपलक्ष्य पर आदिवासी संगठनों द्वारा स्वतंत्रता विद्रोह आंदोलन के प्रहरी सिद्धू, कान्हू, चांद ,भैरव, फूलो झानो को नमन करते हुए उनके संकल्पों को अपनाने का प्रण लिया गया। ज्ञात हो कि आज के ही दिन अंग्रेजो से लोहा लेते हुए 15हजार आदिवासियों ने अपनी आहुति दे दी थी। सिद्धू कान्हू हूल दिवस के मौके पर आदिवासी विभिन्न संगठनों द्वारा चांडिल गोलचक्कर, हुमीद, कान्दरबेड़ा सहित कई स्थानों पर हुल दिवस रैली निकालकर सिद्धू कान्हू को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई, बता दे कि चांडिल गोल चक्कर से रैली की शक्ल में दर्जनों लोग निकल कर स्मारक स्थल पर पहुंचे जहाँ वीर सिद्धू कान्हू की मूर्ति पे माल्यार्पण किया गया। सभी ने सिद्धू, कान्हू ,चांद भैरव, फूलों झानू को नमन किया और श्रद्धांजलि दी, इसके बाद रैली के शक्ल में ही सभी लोग कांदरबेडा पंडित रघुनाथ मुरमू चौक पहुंचे, जहां स्वर्गीय रघुनाथ मुरमू के प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए सभी ने जल, जंगल ,जमीन और आदिवासी सभ्यता संस्कृति को बचाए रखने का दृढ़ संकल्प लिया।

सिद्धू-कान्हू को श्रद्धांजलि देते हुए
इसके अलावे हूल के नायक और देश के पहले स्वतंत्रता आंदोलन के प्रणेता सिदु-कान्हू के शौर्य दिवस को गौरांगकोचा ईचागढ़ एवं विभिन्न जगहों पर मनाई गई। वही हूल दिवस में पातकोम दिशोम देश पारगाना बाबा रामेश्वर बेसरा ने कहा, सिद्धू-कान्हू ऐसे वीरों के वीर थे वो अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी और अपने जमीन के लिए अपना "धरती के लिए जान दे देंगे जमीन नहीं देंगे भूखा मर जाएंगे पर कभी जमीन नहीं बेचेंगे" कहा था। हूल दिवस के अवसर पर माझी माहाल के देश पारगना रामेश्वर बेसरा महासचिव श्यामल मार्डी, बुद्धिजीवी हराधन मार्डी, महेंद्रन्नाथ टुडू, नेपाल बेसरा माहाल के सक्रिय सदस्य परेश माझी बुद्धेश्वर किस्कू जगन्नाथ किस्कू आदि उपस्थित थे।
ABVP ने मनाया हुल दिवस
इसके अलावे आखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद चांडिल नगर इकाई द्वारा नगर अध्यक्ष प्रोफ़ेसर जे.के सिंह की नेतृत्व  में 166वां हूल दिवस सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए विवेकानंद केंद्र में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अभाविप के झारखंड प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ.कमलेश कुमार कमलेंदु एवं जिला प्रमुख विनय कुमार सिंह तथा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नयन हालदार  ने माल्यार्पण करके की। इस दौरान अभाविप के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ कमलेश कुमार कमलेंदु ने कहा की बहराइच में चांद और भैरव को अंग्रेजों ने मौत की नींद सुला दिया, तो दूसरी तरफ सिद्धू और कान्हू को पकड़ कर भोगनाडीह गांव में ही पेड़ से लटका कर 26 जुलाई, 1855 को फांसी दे दी गयी. इन्हीं शहीदों की याद में हर साल 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है ,साथ ही अभाविप जिला मीडिया संयोजक सनातन गोराई ने कहा की जिस दिन झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाया था यानी विद्रोह किया था, उस दिन को 'हूल क्रांति दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

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