उपायुक्त के निर्देश पर जरियाडीह गांव में लग रही कंपनी जमीन की प्रशासन ने करवाई नापी, इससे पहले भी हो चुकी है नापी,अबतक नही निकला कोई समाधान

 


चांडिल : प्रखंड के जरियाडीह में क्रिस्टल मेटाफॉम प्रा. लि. के कंस्ट्रक्शन का काम चालू है, दूसरी तरफ कंपनी जिस जमीन पे बन रही वहा के कुछ ग्रामीणों के बीच विवाद भी चल रहा हैं। यहां ग्रामीण जमीन के एक हिस्से को सरकारी व कुछ को आदिवासी रैयती जमीन के साथ ही धार्मिक स्थल बता कर उसे मुक्त कराने की वकालत कर रहे हैं। इस तरह विगत तीन माह से यहां ग्रामीण, प्रशासन और कंपनी प्रबंधन के बीच आंख मिचौली का खेल चल रहा है। लेकिन अबतक कोई समाधान नहीं निकला हैं।
ज्ञात हो कि पिछले 09 जुलाई 2021 को ग्रामीणों की शिकायत पर सरायकेला जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने पूरे मामले की जांच रिपोर्ट चांडिल एसडीओ से मांगी है। जिसको लेकर बुधवार को चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी के निर्देश पर अंचल कार्यालय की ओर से विवादित जमीन की नापी सीआई की उपस्थिति में की गई। ज्ञात हो कि इससे पहले भी उक्त जमीन की दो बार नापी हो चुकी हैं।

बहरहाल आज के जमीन नापी के दौरान ग्रामीण शैलेन्द्र हांसदा ने स्वयं को जरियाडीह ग्रामसभा का कोषाध्यक्ष बताते हुए कहा कि क्रिस्टल मेटाफॉम प्रा० ली० कंपनी द्वारा 14 एकड़ जमीन पर कंस्ट्रक्शन कर रही है। इसमें करीब 5 एकड़ सरकारी जमीन है व बाकी 9 एकड़ सीएनटी जमीन है। शैलेन्द्र हांसदा ने बताया कि नियमानुसार गांव की सरकारी जमीन ग्रामसभा के अधीन होते हैं। इसलिए प्रथम अधिकार ग्रामसभा की होती हैं और ग्रामसभा के बिना कोई काम नहीं होना चाहिए। वही दूसरी तरफ उक्त सरकारी जमीन पर आदिवासियों का पारंपरिक पूजा स्थल भी है। जिसका कम्पनी द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है। वही उक्त जमीन पर लगे महुआ, जामुन व पलाश के पेड़ों को काटा दिया गया। उन्होंने बताया कि ग्रामसभा से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए बिना ही फैक्टरी बसाने का काम शुरू कर दिया गया है। ज्ञात हो बगैर ग्रामसभा के लीज देना नियम के विरुद्ध है।
इधर बाबूराम ने बताया कि आदिवासियों की जमीन के साथ-साथ सरकारी जमीन की लूट हो रहीं है। इसपर पदाधिकारियों को अविलंब रोक लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिना ग्रामसभा के कोई भी सरकारी या गैरसरकारी काम नहीं हो सकता है। सीएनटी जमीन की खरीद बिक्री के लिए पेशा एक्ट के तहत कई नियम है, उन नियमों की अनदेखी की गई हैं। नियमों का उलंघन कर सीएनटी जमीन पर अतिक्रमण करने में अधिकारियों व नेताओं का अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जिस तरह से आदिवासियों की जमीन लूट हो रही हैं, इसके जिम्मेदार सभी राजनीतिक दलों के नेता हैं। एंव प्रशासन एंव नेता मिलकर गरीब लोगों का जमीन लूट रहे है।

चांडिल से भास्कर मिश्रा की रिपोर्ट।

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