भगवान जगन्नाथ प्रभु का नेत्रदान अनुष्ठान, चांडिल मठिया में पूजा-अर्चना कर हुई संपन्न।

 

चांडिल मठिया में प्रभु जगन्नाथ का पूजा अर्चना करते हुए

चांडिल साधु बांध मठिया

चांडिल : भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान अनुष्ठान शुक्रवार को चांडिल साधु बांध मठिया में विधि-विधान पूर्वक संपन्न हुआ। इसी के साथ भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा का 15 दिनों का एकांतवास समाप्त हुआ। पंडितों के मंत्रोचार के बीच सुबह 10:00 बजे नेत्रदान अनुष्ठान आरंभ हुआ। एक-एक कर विग्रहों को गर्भगृह से निकालकर बाहर पूजा मंडप में स्थापित किया गया। जहाँ पंडितों ने यजमान चंचलानंद के द्वारा भगवानों के स्नान-ध्यान के उपरांत भगवान जगन्नाथ, बलराम व बहन सुभद्रा का दिव्य श्रृंगार किया गया। वस्त्र, पुष्पों के हार से सुशोभित किया गया। इस दौरान श्री विष्णु सहस्त्रनाम अर्चना पाठ हुआ। इसके उपरांत आवाहन, पूजन, भोग अर्पण एंव पुष्पांजलि अर्पण क्षमा याचना के बाद हवन पूजन की गई और लगभग 12:30 बजे सभी आवाहित प्रभु के साथ साथ भगवान जगन्नाथ,बलराम व बहन सुभद्रा की महाआरती उतारी गई। लगभग 01:00 बजे अनुष्ठान संपन्न हुआ। पूजा के बाद विग्रहों को वापस गर्भ गृह में स्थापित कर कपाट बंद कर दिया गया। इस दौरान जय जगन्नाथ के जयकारे से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा। अब 12 जुलाई सोमवार को रथयात्रा अनुष्ठान होगी। इसकी तैयारी चल रही है। इधर बता दे कि उपरोक्त सारे अनुष्ठान कार्यक्रम कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाईन के अनुरूप मनाई गई। पूजा अर्चना के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।
ज्ञात हो कि मंदिर के मुख्य पुजारी लम्बू पंडित की देखरेख में सभी अनुष्ठान संपन्न हुए। अनुष्ठान में मंदिर के पुजारी के अलावे गिने-चुने लोग ही शामिल हुए। मुख्य रूप से पारडीह काली मंदिर के महंत सह चुना अखाड़ा के अंतराष्ट्रीय उपाध्यक्ष विद्यानन्द सरस्वती, चांडिल मठिया के महंत इन्द्रानंद सरस्वती, जीप सदस्य मधु गोराई, उप-प्रमुख प्रबोध उरांव, दीपू जयसवाल, आशीष कुंडू, नवीन पसारी, मनोज राय, नानकु, नितेश तिवारी, संतोष कुमार आदि शामिल थे।

दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु बाहर से ही पूजा कर लिया आशीष

नेत्रदान अनुष्ठान के दौरान चांडिल एवं आसपास के गांव के दर्जनों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे थे। हालांकि उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया। श्रद्धालु मुख्य द्वार के समीप ही पुष्प, नारियल आदि चढ़ाकर भगवान जगन्नाथ से आशीष मांगा। इसके बाद ब्राम्हण भोजन करवाकर उन्हें दान दक्षिणा दिया गया। फिर श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया।

चांडिल से भास्कर मिश्रा की रिपोर्ट।

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