जब रक्षक ही भक्षक बन जाये-पत्रकारों को निशाना बना कर पिटाई करनेवाले पुलिस अधिकारी अविलंब हों निलंबित

महिलाओं पर लाठीचार्ज करते पुलिस

सरायकेला  : झारखण्ड के सरायकेला खरसावां जिला के गम्हरिया थाना क्षेत्र में सड़क जाम कर रहे निहत्थे महिला/पुरुषों पर पुलिस ने जम कर लाठियां बरसायीं। यहां तक कि इस घटना को कवर करनेवाले पत्रकार सुमन मोदक एवं गोलक बिहारी को निशाना बनाकर भी पुलिस ने उनके साथ धक्का मुक्की की और उनका मोबाइल छीन लिया। मीडिया कर्मियों के साथ की गयी बदसलूकी को लेकर सरायकेला सहित झारखण्ड के समस्त पत्रकारों में रोष है।

जब रक्षक ही भक्षक बन जाये, तो फिर आप सुरक्षा के लिए किस से गुहार लगायेंगे ?

बेहतर पुलिसिंग का इससे बेहतर और कहीं दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा। लगातार पुलिस की छवि को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा फटकार का भी उन पर कोई असर पड़ता दिखाई नहीं देता है। मुख्यमंत्री से लेकर पुलिस के आला अधिकारी पत्रकारों के साथ पुलिस के व्यवहार को लेकर गाइडलाइंस जारी करते रहते हैं, लेकिन जिन पुलिसकर्मियों पर उच्चतम न्यायालय की गाइडलाइंस का असर नहीं पड़ता, वे अधिकारियों की कितनी सुनते होंगे। यह आज की घटना से ही सहज अंदाजा लगाया जा सकता।

उक्त घटना पर झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु शंकर उपाध्याय एवं पूर्व अध्यक्ष सह राष्ट्रीय सचिव देवेंद्र सिंह ने कहा है कि पत्रकारों पर बढ़ रहे हमले एवं इस प्रकार की घटना को लेकर झारखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर संज्ञान लेने का आग्रह किया जायेगा। संगठन के संस्थापक सह राष्ट्रीय महासचिव शाहनवाज़ हसन ने पूरे मामले की जांच होने तक थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्रवाई करने की राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मांग की है।

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