चर्चाओं के गर्म हवाओं से उड़ती उड़ती आवाज निकल रही कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रिजाइन कर पत्नी या पिता को बना सकते हैं अगला मुख्यमंत्री !!


 राँची : चर्चाओं के गर्म हवाओं से उड़ती उड़ती आवाज निकल रही कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रिजाइन कर पत्नी या पिता को बना सकते हैं  अगला मुख्यमंत्री !!

यह चौक चौराहों पर चर्चाओं का विषय बना हुआ है। खदान और खतियान के बीच उठे राजनीतिक बवंडर झारखंड की राजनीति को हिला कर रख दिया है। हेमंत सोरेन को पत्थर खनन की लीज चाहिए थी। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने नाम से ही, अपने साइन से खुद को लीज आवंटन कर दी। मसलन लेने वाले भी वही और देने वाले भी वही। उस वक्त हेमंत सोरेन, उनके सलाहकार और उनके साथ रहने वाले आईएएस अधिकारी भूल गए कि यह गलत हो रहा है। मुख्यमंत्री ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के तहत बुरी तरह फंस जाएंगे। उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी जाएगी पूरी संभावना है कि विधायकी भी जाएगी। किसी राज्य के पदाधिकारी इतने अनजान नहीं होते। संभव है हेमंत सोरेन ने अपने अधिकारियों की सलाह को न मानते हुए ऐसा कदम उठाया हो। पर अब हेमंत सोरेन फंस चुके हैं। उनका मुख्यमंत्री पद और विधायकी जाना चर्चाओं के अनुसार लगभग तय माना जा रहा है।

सवाल यह है कि हेमंत सोरेन के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी में कौन बैठेगा। पत्नी कल्पना सोरेन या पिता शिबू सोरेन? पत्नी पर अधिक भरोसा किया जा सकता है और 99 पर्सेंट पत्नी कल्पना सोरेन अगले सीएम बन सकती है। झारखंड कि राजनीति इनदिनों पूरी तरह से खदान और खतियान के इर्द-गिर्द घूम रही है। इन दोनों मुद्दे को लेकर सूबे का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। राज्य की हेमंत सरकार पूरी तरह से खदान और खतियान के भंवर में उलझी दिख रही है। दोनों ही मामले सरकार के लिए नासूर बना हुआ है। खतियान के मामले पर विपक्ष से ज्यादा अपनों के लगातार प्रहार से सरकार आहत है तो खदान के मामले में सरकार संवैधानिक संस्थाओं के द्वारा चौतरफा घिरती जा रही है। एक साथ राजभवन, निर्वाचन आयोग और हाई कोर्ट सरकार से कारण पूछ रही है। "ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट" मामले में भारत के निर्वाचन आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव से पूरी जानकारी मांगी है। वही 22 अप्रैल को इसी मामले पर झारखंड हाई कोर्ट मे सुनवाई हुई है।

वहीँ राज्यपाल 27 अप्रैल को गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष पुरी रिपोर्ट रखनेवाले हैं। तो दूसरी तरफ खतियान के मामले पर मंत्री जगरनाथ महतो और विधायक लोबिन हेम्ब्रेम अपनी ही सरकार के खिलाफ हैं।लोबिन हेम्ब्रेम का खतियान को लेकर राज्यव्यापी आन्दोलन जारी है। बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जवाब के बाद भी लोबिन शांत नहीं हुए। हालाँकि झामुमो ने अपने सबसे वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी को इस मुद्दे पर काट के लिए आगे किया था, परंतु कोई असर लोबिन पर नहीं पड़ा। वहीं JMM विधायक सीता सोरेन जल जंगल जमीन को लेकर अपनी ही सरकार को घेरती आ रही हैं।

इधर, ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट मामले पर हाई कोर्ट में 22 अप्रैल को सुनवाई हुई है। झारखंड हाई कोर्ट में दायर प्रार्थी शिव शंकर शर्मा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने दलील दी है कि मुख्यमंत्री ने अपने नाम से रांची के अनगड़ा में पत्थर खदान को लीज पर लिया है। जो ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला है। इसलिए उनकी सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री राज्य के माइंस मिनिस्टर भी हैं। खान मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिसंबर 2021 में अपने ही नाम से पत्थर खदान को लीज पर लिया था। मुख्यमंत्री ने स्टेट लेबल एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी से पर्यावरण स्वीकृति भी ली थी। इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन अप्लाई किया था। जिसका पूरा ब्यौरा मिनिस्ट्री आफ इनवायरमेंट एंड फोरेस्ट पर अपलोडेड है। इस मामले पर हाई कोर्ट में 08 अप्रैल को सुनवाई हुई है। जिसमे सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा था कि यह कोड ऑफ कंडक्ट का मामला हो सकता है। लेकिन यह संविधान के उल्लंघन की कैटेगरी में नहीं आता है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री ने इस व्यवसाय से खुद को अलग करते हुए 11 फरवरी 2022 को खदान लीज सरेंडर कर दिया है।

वहीँ दूसरी तरफ खदान लीज मामले पर चुनाव आयोग से राज्य के मुख्य सचिव को एक पत्र आया है। यह मामला सीधे-सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ा हुआ है। चुनाव आयोग ने शिकायती पत्र के आधार पर मुख्य सचिव से यह जानना चाहा है कि हेमंत सोरेन ने खदान के लिए कब आवेदन दिया था। आवेदन को कितने दिनों में स्वीकृति मिली थी। चिट्ठी आने के बाद से प्राप्त जानकारी के अनुसार सीएस ऑफिस दस्तावेजों को वेरिफाई करने में जुटा है। इसके बाद चुनाव आयोग को जवाब भेजा जाएगा। संविधान के जानकारों का मानना है कि सरकार की तरफ से चुनाव आयोग को जवाब भेजा जाएगा। इसके बाद चुनाव आयोग दोनों पक्ष से जवाब मांगेगा। जवाब के आधार पर चुनाव आयोग अपनी मंशा से राज्यपाल को अवगत कराएगा। वही इस बीच राज्यपाल रमेश बैस 27 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलनेवाले हैं। जानकारी के अनुसार राज्यपाल खदान लीज मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री को रिपोर्ट सौप सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने माइंस मिनिस्टर रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम से 0.88 एकड़ में पत्थर खदान को लीज पर लिया था। जिसके बाद से झारखंड के राजनीति में भूचाल आ गया है। झारखंड की राजनीति और सरकार खदान और खतियान की इर्द-गिर्द घूम रही है। चर्चाओं के अनुसार कहा जा रहा है कि झारखंड की राजनीतिक आबोहवा कभी भी बदल सकती है। चर्चाओं और जानकारों के अनुसार राजनीति की अंदर खाने मे पक रही खिचड़ी के अनुसार मुख्यमंत्री रिजाइन कर पत्नी कल्पना सोरेन या पिता शिबू सोरेन को सीएम बना सकते हैं या अधिक करीबी माने जाने वाले चंपाई सोरेन भी हो सकते हैं।

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